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Rekhta Foundation

Read Urdu Blogs by Rekhta. Best Urdu articles about shayari, poets, authors and different aspects of Urdu Adab available in Urdu, Hindi and Roman scripts.


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Rekhta Foundation · 19 October 2021 English

मजाज़ की शाइरी किसी वाहिद मौजू के इर्द गिर्द चक्कर नहीं लगाती, बल्कि एक नौजवान की ज़िंदगी के बेश्तर पहलुओं पर बिखरी हुई है। मजाज़ की शाइरी में रूमान भी …


Rekhta Foundation · 12 October 2021 English

उर्दू और हिन्दी को लेकर एक सवाल बार बार किया जाता है कि दोनों में क्या रिश्ता है और यहां तक कहा जाता है कि उर्दू मुसलमानों की ज़बान है …


Rekhta Foundation · 8 October 2021 English

किसानों के जीवन को मौज़ूअ बना कर लिखी गईं ये कहानीयाँ पढ़ कर जो एक ख़ास बात सामने आती है वो ये कि प्रेमचंद के समय के किसान और हमारे …


Rekhta Foundation · 1 October 2021 English

एक दिन मजरूह साहब अपने रिकॉर्ड प्लेयर में मल्लिका-ए-तरन्नुम ‘नूरजहाँ’ की गायी और फ़ैज़ साहब की लिखी नज़्म “मुझसे पहली सी मुहब्बत…” सुन रहे थे। इस नज़्म में एक मिसरा …


Rekhta Foundation · 30 September 2021 English

मीर तक़ी मीर ने दिल्ली के गली-कूचों को ‘औराक़-ए-मुसव्वर’ यानी ‘सचित्र पन्नों’ की उपमा दी थी। ये वो ज़माना था जब दिल्ली में साहित्यिक, तहज़ीबी और सांस्कृतिक सर-गर्मियाँ चरम पर …


Rekhta Foundation · 28 September 2021 English

یہ امر بہت دلچسپ ہے کہ شاستریہ سنگیت پر اسطور کی ایک ایسی دھند چھائی ہوئی ہے جو اسے نہ صرف پراسرار بنادیتی ہے بلکہ اس میں داستانوی رنگ بھر …


Rekhta Foundation · 21 September 2021 English

मीर के बारे में अक्सर ये कहा जाता है कि उन्होंने सह्ल ज़बान या सरल भाषा में शाइरी की है। ऐसी ज़बान जिसे समझने में किसी को कोई परेशानी न …


Rekhta Foundation · 19 September 2021 English

अमूमन लोग मुहावरा और कहावत को एक समझते हैं। जब कि ऐसा नहीं है। मुहावरा अरबी ज़बान का लफ़्ज़ है जिसका मतलब मख़्सूस ज़बान में राइज मख़्सूस जुमलों से मुतअल्लिक़ा …


Rekhta Foundation · 17 September 2021 English

Born Shankar Dutt Kumar, in Bahawalpur, Pakistan, on 3rd July 1935, Kumar Pashi’s family left their house and belongings in Delhi after the Revolt of 1857. But, as fate would …


Rekhta Foundation · 15 September 2021 English

‘रूपहले परदे पर चमकते हर्फ़’ सीरीज़ में आज हम याद करेंगे गीतकार शैलेन्द्र को, जिन्होंने सैकड़ों ऐसे गीत हमें दिए, जिन्हें भुलाए भुलाया नहीं जा सकता | शायद आपको मालूम …