ज़बानें हमारे जैसे इंसानों की तरह नहीं होतीं। उनका आपस में कभी झगड़ा नहीं होता। फ़ारसी उर्दू के पास आती है, तो संस्कृत से अल्फ़ाज़ लेते हुए उर्दू को दे जाती है। उर्दू और हिन्दी के नज़्दीक अंग्रेज़ी आती है, तो वो कुछ अल्फ़ाज़ ले जा कर दुनिया भर में बाँट देती है। ये सिलसिला हज़ारों साल से चलता चला आ रहा है। The post ज़बानें तो दरिया की तरह होती हैं, जो हर पल नए नए पानियों का जलवा दिखाती हैं appeared first on Best Urdu Blogs, Urdu Articles, Urdu Shayari Blogs.
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