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Rekhta Foundation
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Rekhta Foundation · 14 July 2021 English
नज़्म की बुनियादी शर्त होती है एक ही मौज़ूअ’ को बयान करना लेकिन क्या ग़ज़ल में ऐसा है? नहीं बिल्कुल नहीं। ग़ज़ल के तमाम अशआ’र अपने आप में मुख़्तलिफ़ मौज़ूअ’ …
Rekhta Foundation · 11 July 2021 English
वली मोहम्मद नाम के गुमनाम शाइर अवाम के गीत गा रहे थे। कभी ककड़ी खीरा बेचने वाले के लिए नज़्म लिख देते तो कभी लड्डू बेचने वाले के लिए इस …
Rekhta Foundation · 7 July 2021 English
टॉम अल्टर साहब एक जगह फ़रमाते हैं कि एफ़-टी-आई-आई से अदाकारी की डिग्री हासिल करने के बाद जब उनकी मुलाक़ात दिलीप साहब से हुई, तो उन्होंने दिलीप साहब से पूछा, …
Rekhta Foundation · 1 July 2021 English
وقت کے ساتھ ساتھ چیزوں کے پیمانے بھی بدلتے رہتے ہیں۔ ان تبدیلیوں کے پس پشت ضرورت اور حالات کی تبدیلیاں کارفرما ہوتی ہیں۔ تبدیلی وقت کا خاصہ ہے اور …
Rekhta Foundation · 28 June 2021 English
ग़ज़ल गायकों में वैसे तो बहुत बड़े बड़े नाम हुए हैं, लेकिन इसको एक नया आहंग देने में जगजीत सिंह का बेहद अहम योगदान है। ग़ज़ल गायकी में पहली बार …
Rekhta Foundation · 25 June 2021 English
मिर्ज़ा दाग़ देहलवी कहते हैं कि आगे मैं आपको जो भी बताने-समझाने जा रहा हूँ उन तमाम बातों को ग़ौर से सुन लें क्यों कि इन सब बातों को जाने-समझे …
Rekhta Foundation · 22 June 2021 English
Poetry and music share an equation that is analogous to that of a heart and mind; one of them throbs while the other thrives. Being fascinated with Persian Sufi poetry …
Rekhta Foundation · 21 June 2021 English
جمیل گلریز ایک شخص نہیں بلکہ ایک انجمن کا نام ہے ۔ اردو سے محبت کا دعوی تو بہت لوگ کرتے ہیں لیکن اردو کا ایسا مخلص اور بے لوث …
Rekhta Foundation · 19 June 2021 English
شاید فن داستان گوئی کا یہی طلسم ہے کہ وہ آج بھی لوگوں کو اپنے سحر میں باندھے ہوئے ہے ۔زمانہ بدل گیا ہے ۔داستانیں بھی بدل گئیں لیکن انسانوں …
Rekhta Foundation · 16 June 2021 English
हम मिर्ज़ा ग़ालिब की नसीहत पर अमल करते हुए भी अदब के मैदान में ख़ुद को बड़ा शायर बनाना चाहते थे कि 'मिस्री की मक्खी बनो, शहद की मक्खी नहीं …