cover image: Sanjari : Folk Music of Nagaland by Onetoshi Jamir संजारी : नागालैंड के लोक गीत - औनानडूसी जामिर

Sanjari : Folk Music of Nagaland by Onetoshi Jamir संजारी : नागालैंड के लोक गीत - औनानडूसी जामिर

20 Jul 2018

Nagaland artist Onandusi Jamir and his team introduced the culture of the Ao Naga tribe. They began their programme by greeting the audience in their traditional costumes. His singing was accompanied by a loud scream, called ‘Mayu’, along with dialogues. This mixture of sounds generated curiosity in the audience. In this group T. Amen Jamir, T. Limanaru Jamir, S. Temchensula and Angumamkala were the female artists. The male artists were Onandusi Jamir, Imtiang S Ibhsong, Impuermann Samuel Pogain and Samuel Pongen. Samuel Pongen was playing the drums. All the artists in this group were both singing and dancing. Onandusi Jamir, who was leading the team, created excitement by playing the ‘Changch’ in between. ‘Changch’ is a musical instrument made of buffalo horns. The programme started with the special ‘Mayu’ song. The artists made different sounds from the mouth. The audience got an unusual experience by listening to this style of singing, which they liked very much. The next song of this group was 'Sangpangtu Kan'. This conveyed a traditional tale. According to this legend, the Ao Naga ancestors believed that man was suppressed by the fear of powerful animals such as the lion. He had no idea of ​​the nature of animals. To get rid of this trouble, the villagers went to an old witch. This old witch also used to predict the future. She heard the problems of the villagers. Then she told them that the God of water is not happy with the villagers. To please him, the village well will have to be consecrated. After this, the villagers got together and purified that well. It is said that since then, humans gained control over animals. The next ‘An’ or song was 'Ar Atsutepa Kan'. This is the festive song of the tug of war. The traditional sport is also enjoyed along with this song. The next song 'Tannam Ujj Kan' imitated the beautiful and powerful bird of Nagaland, the hornbill, and the graceful nature of the fish. This song is also called the hornbill and fish song. In the next presentation of the programme, named Allu Jungar Kan, it was told that the people of Nagaland have bravery, honesty and hard work in their nature and culture. As a tradition, their next generation gets these attributes naturally. The next presentation of the programme was 'Aman Kan' i.e. song of peace. During festivals and gatherings, Naga people respectfully make their guests sit down and sing a song in a conversational manner. This is called Aman Kan. The presentation of 'Aungsamang Kan' was also interesting. Actually, in olden times, lovers were not allowed to meet. In such situations, they used to communicate through songs. The same sentiment was presented in the 'Aungsamang Kan'. At the end of the programme, a special innovative song, 'Sanjari Kan', was presented. In this, all the artists played the 'Bumhoom', which is a kind of a wind instrument. This presentation was particularly appreciated by the audience. नागालैंड के कलाकार औनानडूसी जमीर के दल ने नागा आओ जनजाति की संस्कृति का परिचय दिया। अपने पारंपरिक परिधानों के साथ दर्शकों का अभिवादन कर उन्होंने अपने कार्यक्रम की शुरूआत की। उनके गायन में संवाद के साथ साथ जोशीली चीख भरी आवाजें भी थीं, जिसे मयु कहते हैं। यह मिश्रण श्रोताओं में कौतूहल पैदा कर रहा था। इस समूह में टी. आमेन जामीर, टी लिमानारू जामीर, एस. टेम्चेन्नसुला और आंगुममक्ला महिला कलाकारों ने हिस्सा लिया। पुरुष कलाकार थे- औनानडूसी जामीर, इम्तियांगअ एस इभ्सोंग, इम्पुमेर्ण सेमुअल पोगेंन और सेमुअल पोंगेन। सेमुअल पोंगेन ढोल बजा रहे थे। इस समूह के सभी कलाकार गायन और नृत्य दोनों कर रहे थे। इनका नेतृत्व करने वाले कलाकार औनानडूसी जामीर बीच बीच में चंग्ज बजाकर कलाकारों में जोश पैदा कर रहे थे। चंग्ज भैंस के सींग से बना वाद्ययंत्र होता है। कार्यक्रम की शुरूआत विशिष्ट गीत मयु से हुई। कलाकारों ने मुँह से अलग अलग तरह की आवाज़ें निकाली। दर्शकों को इस गायनशैली को सुनने में अलग तरह का अनुभव हुआ, जिसे उन्होंने पसंद भी किया। इस समूह का अगला गीत था-‘संग्पंग्तु कन’। यह एक पारंपरिक कथा है। इस कथा के अनुसार आओ नागा पूर्वजों का मानना था कि मनुष्य शेर जैसे शक्तिशाली जानवर के डर से दबा दबा रहता था। उसे जानवरों की प्रवृति का अंदाजा नहीं था। इस परेशानी से मुक्ति पाने के लिए गाँव के लोग एक बूढ़ी चुड़ैल के पास गए। वह बूढ़ी चुड़ैल भविष्यवाणी भी करती थी। उसने गाँव वालों की परेशानी को सुना। इसके बाद उसने कहा कि पानी के देवता गाँव वालों से खुश नहीं है। उन्हें खुश करने के लिए गाँव के कुंए को पवित्र करना होगा। इसके बाद गाँव वालों ने मिलकर उस कुंए को पवित्र किया। कहा जाता है कि इसी आशीर्वाद के बाद मनुष्यों का जानवरों पर अधिकार हो गया। अगला कन यानी गीत था ‘अर अत्सुतेपा कन’। यह गीत रस्सा खींच का उत्सवी गीत है। इस गीत में पारंपरिक खेल का भी आनंद लिया जाता है। अगले गीत ‘तन्नम उज्ज कन’ में नागालैंड के सुंदर और ताकतवर पक्षी ‘हॉर्नबिल’ और मछलियों के शालीन स्वभाव की नकल की गई। इस गीत को हॉर्नबिल और मछलियों का गाना भी कहा जाता है। कार्यक्रम की अगली प्रस्तुति ‘अलु जुंगार कन’ में बताया गया कि नागालैंड के लोगों के स्वभाव और संस्कृति में बहादुरी, ईमानदारी और मेहनत है। यह परंपरा के तौर पर उनकी अगली पीढ़ी को सहज तौर पर ही मिल जाती है। इसी कड़ी में कार्यक्रम की अगली प्रस्तुति थी- ‘अमन कन’ यानि अमन गीत। त्योहारों और सभाओं के दौरान नागा लोग अपने मेहमानों को सम्मान के साथ बिठाकर बातचीत नुमा गीत गाते हैं। इसे ही अमन कन कहा जाता है। ‘औँग्म्सांग कन’ की प्रस्तुति भी दिलचस्प थी। दरअसल पुराने जमाने में प्रेमी-प्रेमिकाओं को मिलने की इजाजत नहीं होती थी। ऐसे में वे अपनी बात गीतों के माध्यम से करते थे। इसी भाव को ‘औंग्म्सांग कन’ में प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम के अंत में नवाचार से युक्त विशेष गीत ‘संजारी कन’ प्रस्तुत किया गया। इसमें सभी कलाकारों ने ‘बम्हूम’ बजाया, जो एक किस्म का फूंक वाद्य है। इस प्रस्तुति की श्रोताओं ने विशेष तौर पर सराहना की।
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India
Source
Indira Gandhi National Centre for the Art, New Delhi इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र, नई दिल्ली
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Video