cover image: Sanjari : Folk Music of Kerala by Sreeraj TR and Udayan Kundankuzhi  संजारी : केरल के लोक गीत - उदयन कुन्दम्कुई, श्रीराज टी आर

Sanjari : Folk Music of Kerala by Sreeraj TR and Udayan Kundankuzhi संजारी : केरल के लोक गीत - उदयन कुन्दम्कुई, श्रीराज टी आर

18 Aug 2018

Young artists of the Natatakkam Folk Theatre in Kasargod in Kerala presented songs related to the folk culture of Kerala. The group included young singers named Udayan Kundamkui, Sriraj, TR Kumar MV Kiran Prasad, and Shibin Sevier, and Aditej as a child artist. Sudhish accompanied on the Chenda and the Valamtala, Sunil Kannan on the Thakil, and Riju B on the Elattalam. All these artists made the program really impressive by playing Tudi and Maram in their presentations. The programme had the distinct sounds of folk instruments and vocal rendition of Kerala. The program started with 'Mangalam Kali'. According to tradition, the people of Mavila and Malavettuva communities in Kasargod district sing this song and dance either at the time of marriages or at the ceremony held when girls reach adolescence. 'Mangalam Kali' involves the playing of the Tudi. The next performance of this group was - 'Pakkanar Pattu'. The people of the Paraya community in Kerala are considered to be very hardworking. These people sing this song while working so that they don't feel exhausted. Tudi, Maram, and Chenda are also played in this song. The next performance in this programme was 'Alami Kali'. This special presentation referred to the unity between the Hindu and the Muslim communities. This traditional song and dance was performed in remembrance of the Karbala war. Chenda and Thakil are the instruments that are played during this presentation. The 'Erula' tribe lives in the forests of Kerala. Their area is the Attpadi village in the Padakkal district. These people collect honey from trees. In the evening, people of this tribe sit in a circle in their leisure time and sing the 'Erula' song, which was also presented during the programme. After this, the artists performed the 'Porat Kali'. The Kolya tribe living in Palghat sing the 'Porat Kali' on occasions of marriages and other festivities. During this performance, they praise their guests. Apart from this, historical stories are also mentioned in the 'Porat Kali'. The next performance was an old folk song, named 'Wattakali Pattu'. People of all communities in Alleppey, Trivandrum, and Kolam districts sing this folk song at the time of marriage. Young artists from the Natatakkam Folk Theatre kept on presenting a bouquet of folk songs, one after another. These artists also sang the 'Kalam Pattu'. The 'Kalam Pattu' is performed to seek the blessings of the 'Naag devta' or the serpent god, so that their children are saved from the serpent curse ('Naag Dosha'), from the evil eye, and all the people of the village stay away from disasters. The program ended with 'Odakkar Orattile'. This folk song belongs to the Palia community living on the border of Idukki, Palakkad, and Trichur districts, who sing this song in temples during festivals. The enthusiasm of the young artists during the entire programme was highly commendable. केरल के कासरगोड़ स्थित नाटटक्कम फ़ोक थिएटर के युवा कलाकारों ने केरल की लोक-संस्कृति से जुड़े गीत प्रस्तुत किए। इस समूह में युवा गायक उदयन कुन्दम्कुई, श्रीराज टी आर कुमार एम वी किरण प्रसाद, शिबिन सेवियर और बाल कलाकार के तौर पर अदितेज शामिल थे। समूह के संगतकारों में चेंदा और वलमतला पर सुधीश, थाकिल पर सुनील कन्नन और एलात्तालम पर रिजु बी थे। इन सभी कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों में तुड़ी और मरम बजाकर कार्यक्रम को प्रभावशाली बना दिया। इसमें केरल के लोकवाद्यों और विशुद्ध गायकी की छाप थी। कार्यक्रम की शुरूआत ‘मंगलम कली’ से हुई। परंपरा के मुताबिक कासरगोड़ जिले में माविला और मलावेत्तुवा समुदाय के लोग शादी के समय या फिर कन्या के किशोर वय पर पहुँचने की खुशी में नाचते गाते हैं। 'मंगलम कली’ में तुड़ी वादन होता है। इस समूह की अगली प्रस्तुति थी-‘पाक्कनार पाट्टू’। केरल में पराया समुदाय के लोग बहुत मेहनती माने जाते हैं। ये लोग काम करते वक्त इस गीत को गाते हैं जिससे उन्हें थकान ना हो। इस गीत में तुड़ी, मरम और चेंदा भी बजाया जाता है। इस कड़ी में अगली प्रस्तुति थी ‘आलामी कली’। इस खास प्रस्तुति में हिंदू और मुस्लिम समुदाय की एकता का जिक्र था। यह पारंपरिक गीत और नृत्य करबला युद्ध के प्रसंग को याद करते हुए प्रस्तुत किया गया। वाद्यों के तौर पर इस प्रस्तुति में चेंदा और थाकिल की संगत होती है। केरल के जंगलों में ‘ईरूला’ जनजाति के लोग रहते हैं। इनका इलाका पडक्कल जिले का अट्टपाडी गाँव है। ये लोग पेड़ों से शहद इकट्ठा करते हैं। शाम को इस जनजाति के लोग फुर्सत में एक घेरा बनाकर ‘ईरूला’ गीत गाते हैं, जिसे भी कार्यक्रम के दौरान प्रस्तुत किया गया। इसके बाद कलाकारों ने ‘पोराट कली’ की प्रस्तुति दी। ‘पोराट कली’ को पालघाट में रहने वाली कोलया जनजाति शादी और उत्सवों के मौके पर गाती है। इस दौरान उनके मेहमानों की खासियत के बारे में बताया जाता है। इसके अलावा ‘पोराट कली’ में ऐतिहासिक कहानियों का जिक्र भी होता है। अगली प्रस्तुति थी ‘वाट्टकली पाट्टू’, जो एक पुराना लोकगीत है। इस लोकगीत को एलेप्पी त्रिवेंद्रम और कोलम जिले में सभी समुदायों के लोग शादी ब्याह के समय गाते हैं। नाटटक्कम फ़ोक थिएटर के युवा कलाकार एक के बाद एक लोकगीतों का गुलदस्ता पेश कर रहे थे। इन कलाकारों ने ‘कलम पाट्टू’ गायन भी प्रस्तुत किया। ‘कलम पाट्टू’ गायन नाग देवता का आशीर्वाद लेने के लिए किया जाता है, जिससे उनके बच्चों को नाग दोष ना हो, किसी की बुरी नजर ना लगे और गाँव के सभी लोग आपदाओं से दूर रहें। कार्यक्रम का अंत ‘ओडाक्कर ओरत्तिले’ से हुआ। ये लोकगीत इडुकी, पालक्ड़ और त्रिचुर जिले की सीमा पर बसे पालिया समुदाय का है, जो इसे त्योहारों के वक्त मंदिरों में गाते हैं। इन सभी प्रस्तुतियों के दौरान युवा कलाकारों का उत्साह सराहनीय था।
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Published in
India
Source
Indira Gandhi National Centre for the Art, New Delhi इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र, नई दिल्ली
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Video