Mr. Jodhai Lobha, a senior and popular singer of Mizoram has started the Mizo Culture Artists Association for the preservation of folk songs. In the Sanjari programme, Ms. Jawalbo E, Ms. Veronica, and Ms. Bebiye accompanied Jodhai Lobha in the singing. The language of Mizoram is quite difficult. Although the script is the same, the pronunciation changes the meaning of words. However, despite this, people greatly appreciated Jodhai Lobha's presentations. The programme started with band music. Each instrument of the band was unique. It had a special combination of Khwang i.e. a drum, Seki which is a percussion instrument made of buffalo horns, Taal Khwang which is a percussion instrument made of bamboo, Fanglong i.e. a flute, Bengbung which is a wooden percussion instrument, Tumfeet which is a bamboo wind instrument, and Darbu which is a copper sound plate. Jam Lobha, John and Mamoya played these instruments in a traditional manner and won rounds of applause from the audience. After the band music, the singing of folk songs began. The first song was 'Mamoya', the lyrics of which were - 'Pippu Chhunha Klang Halui'. This meant that we bow to the land and culture of our ancestors. The next performance was - 'Darlegaleh E Jai'. The song mentioned a girl named Darlegaleh and praised her beauty. This was followed by Jodhai Lobha's next performance - 'Lunglen Ja E'. The song had the story of a confused lover. Subsequently, fellow artist Veronica sang the folk song 'Chonlam' of the Hammar tribe. In this song, there was a beautiful description of the climate of the mountains and the weather. At the same time, there was a sense of giving thanks to God for the beauty of nature. Jodhai Lobha's next performance was a parting song (Virah Geet), which had the lyrics 'Aoiithang Pa'. In this song the lover is missing his girlfriend. Fellow artist Javualbo E's next performance, 'Lianchieri Ja E', described the love affair between a princess and the son of a widow. This was followed by a duet song ‘Bari Aayi’. Jaan and Bebiye sang the song while playing the traditional instrument Darbu and Bengbung. In the second duet, Jodhai Lobha and Veronica sang the song 'Khelkhan Lam Halla'. It is sung on the occasion of victory. The next presentation in this series was 'Lelthangku Wa Ja E'. It mentioned a lover falling in love and going gaga over the girl's moves. Jodhai Lobha won the hearts of the people by reciting 'Damini Jai' during the event. At the end of the program, all the performers sang a fun-filled folk song 'Cheyi Lam', on which both the performers and the audience danced with great enthusiasm. मिजोरम के वरिष्ठ और लोकप्रिय गायक श्री जोधाई लोभा ने लोकगीतों के संरक्षण के लिए मिजो कल्चर आर्टिस्ट्स एसोसिएशन की शुरुआत की है। संजारी कार्यक्रम में जोधाई लोभा के साथ सुश्री जवाल्बो ई, सुश्री वेरोनिका और सुश्री बेबिये ने गायन में संगत की। मिजोरम की भाषा काफ़ी कठिन है। एक जैसी लिपि के बावजूद उच्चारण से शब्दों के अर्थ बदल जाते हैं। बावजूद इसके जोधाई लोभा की प्रस्तुतियों को लोगों ने काफ़ी सराहा। कार्यक्रम की शुरूआत वाद्यवृंद से हुई। वाद्यवृंद का हर एक वाद्य विलक्षण था। इसमें ख्वांग यानि ढोल, भैंसे के सींग से बने ताल वाद्य सेकी, बाँस के तालवाद्य ताल ख्वांग, फ़ेंगलोंग यानि बांसुरी, लकड़ी के तालवाद्य बेन्ग्बुंग, बाँस में फूंक से बजने वाले तुमफीत और तांबे की स्वर प्लेट दारबु का लाजवाब संयोजन था। इन वाद्ययंत्रों को जाम लोभा, जॉन और ममोया ने पारंपरिक अंदाज में बजाकर दर्शकों की खूब वाहवाही बटोरी। वाद्यवृंद के बाद लोकगायन का दौर शुरू हुआ। पहला गीत था- ‘ममोया’, जिसके बोल थे- ‘पीपु छुंहा क्लांग हलुई’। इसका अर्थ था कि हम अपने पूर्वजों की भूमि और संस्कृति को प्रणाम करते हैं। अगली प्रस्तुति थी- दार्लेगलेह ई जाई’। इस गीत में दार्लेगलेह नाम की एक लड़की का जिक्र है और उसकी सुंदरता की तारीफ़ की जा रही है। इसके बाद जोधाई लोभा की अगली प्रस्तुति थी- ‘लुन्ग्लेन जा ई’। इस गीत में एक भ्रमित प्रेमी की कहानी थी। इसके बाद साथी कलाकार वेरोनिका ने हम्मार जनजाति का लोकगीत ‘चोन्लाम’ गाया। इस गीत में पहाड़ों की आबोहवा और वहाँ के मौसम का शानदार बखान था। साथ ही साथ प्रकृति की सुंदरता को लेकर ईश्वर के लिए धन्यवाद देने का भाव भी था। जोधाई लोभा की अगली प्रस्तुति एक विरह गीत था, जिसके बोल थे- ‘अओईथांग पा’। इस गीत में प्रेमी अपनी प्रेमिका को याद कर रहा है। साथी कलाकार जवुअल्बो ई की अगली प्रस्तुति ‘ल्यान्छिअरी जा ई’ में एक राजकुमारी और एक विधवा के पुत्र के बीच प्रेम प्रसंग का वर्णन है। इसके बाद बारी आई युगल गीत की। जान और बैबिये ने पारंपरिक वाद्य दारबू और बेन्ग्बुंग बजाकर दारबू गाना गाया। दूसरे युगल गीत में जोधाई लोभा और वेरोनिका ने ‘खेल्खण लाम हला’ गीत गाया, जो जीत के मौके पर गाया जाता है। इसी कड़ी में अगली प्रस्तुति थी-‘ लेल्थान्ग्क्यू वा जा ई’। इसमें एक प्रेमी के लड़की की चाल पर फ़िदा होने का जिक्र है। जोधाई लोभा ने इस कार्यक्रम के दौरान ‘दामिनी जाई’ सुनाकर लोगों का दिल जीता। कार्यक्रम के अंत में सभी कलाकारों ने मौजमस्ती से भरपूर लोकगीत ‘छेयी लाम’ गाया, जिस पर कलाकारों के साथ साथ दर्शकों ने भी नृत्य किया।
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- India
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- Indira Gandhi National Centre for the Art, New Delhi इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र, नई दिल्ली
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