Shibor Maukan and his fellow artists from Meghalaya performed folk and tribal songs with great enthusiasm. Shibor Maukan's band is called Khasi Ethnic Band. The band is located in Pienther village in the Khasi Hills district. He told that it was his ancestors who had preserved the music of the Khasi tribe. It was they who had passed on the music traditions to the new generation so that they are aware of their roots. The pattern of folk songs of Meghalaya is based on the musical instruments of the state, such as the Nakra, Kisang, Kinthhai, Duitara, and the Padi patterns. Shibor Maukan’s programme began with a presentation by his band. It played a crying tune (Artanaad). In this composition based on the emotion of pathos (Karun Rasa), a female deer mourns the death of her fawn who has been killed by a hunter. The song was sung on the beats of Kisang Kinthhai. Shibor Maukan played a five-stringed saitar during this performance. Excellent accompaniment was provided by Jeevan Lyngdoh on the Duitara, Pinbha Long Khong Mowl on the Padiya, Alden Khong Mowl on the Kisang Kinthhai, Wanbor Maukan on the Nakra, and Yasung Long Khong Moule on the Marigond, Shannam and Shau-Shau. Kinsang Kinthhai is a drum. Shannam means cymbals and Shau-Shau means a manjira. The next presentation in this series was a cradle song. The song that followed was on the 'Padiya Shi Ding' pattern. It was dedicated to mothers. The next song was also on the same pattern. In this song, there was a description of beautiful women covered in gold ornaments. This was followed by 'Por Ba La Leite'. This song contained the golden memories of childhood. Our childhood is filled with so much fun, and is free from all kinds of shackles - we quarrel on petty things and then easily forget everything. These were the expressions of this song. The lyrics of the next song were 'Mei Byd Jong Na'. It means ‘Oh mother, dear mother’. The essence of this song was that there is no comparison to a mother. No one else can do what she does to raise her child well. It was also said in the song that the voice of a mother is soft and sweet like a Duitara. The life of a child is possible only because of a mother. Shortly thereafter, Shibor Maukan performed the song 'Golden Fall' i.e. 'Suna Pani'. In this song, the natural water springs of Meghalaya were praised. The next song 'Smla Nong Kyodong', presented in the same series, referred to the hardworking youth of Meghalaya, who smile and beam even in odd circumstances. They are sincere and honest and hence their importance is valued more than gold. At the end of the programme, Shibor Maukan and his colleagues performed the song 'Mei Ramaau'. It expressed gratitude to mother earth and also conveyed sa resolve to protect her. मेघालय से आए शिबोर माउकन और उनके साथियों ने वहाँ के लोक और जनजातीय गीतों को बड़े मनोयोग से प्रस्तुत किया। शिबोर माउकन के बैंड का नाम था- खासी एथनिक बैंड। यह बैंड खासी हिल्स जिले के पाईन्थर गाँव में स्थित है। उन्होंने बताया कि खासी जनजाति संगीत को उनके पूर्वजों ने ही संरक्षित किया है। उन्होंने ही संगीत की परंपराओं को हम लोगों तक पहुँचाया जिससे हमें हमारी जड़ों का पता रहे। मेघालय के लोकगीतों का पैटर्न वहाँ के वाद्यों के आधार पर होता है, जैसे नकरा, किसंग, किन्थ्हाई, दुईतारा और पाडिया पैटर्न। शिबोर माउकन के कार्यक्रम की शुरूआत वाद्यवृंद से हुई। यह एक क्राइंग ट्यून यानि आर्तनाद था। करुण रस की इस रचना में एक हिरणी का विलाप है जिसके संदर युवा बच्चे को शिकारी ने मार दिया है। यह गीत किसंग किन्थ्हाई पर था। इसकी प्रस्तुति के दौरान शिबोर माउकन ने पाँच तारों का साईतार बजाया। दुईतारा पर जीवन लिंगदोह, पाडिया पर पिनभा लांग खोंग मोउल, किसंग किन्थ्हाई पर एल्डन खोंग मोउल, नखरा पर वानबोर माउकन और मेरीगोंड, शान्नाम और शाऊ शाऊ पर यासुंग लांग खोंग माउल ने शानदार संगत की। किंसग किन्थ्हाई ढोल को कहा जाता है। शान्नाम का मतलब है झांझ और शाऊ शाऊ यानि मंजीरा। इस कड़ी में अगली प्रस्तुति लोरी की थी। इसके बाद का गीत ‘पाडिया शी डिंग’ पैटर्न पर था। इस गीत में माँ को याद किया गया। अगला गीत भी इसी पैटर्न पर था। इस गाने में सोने से लदी सुंदर युवतियों का बखान था। इसके बाद की प्रस्तुति थी- ‘पोर बा ला लेईट’। इस गीत में बचपन की सुनहरी यादों का जिक्र था। हमारा बचपन हर तरह के बंधनों से मुक्त कितना मौज मस्ती वाला होता है - बात बात पर झगड़ना और फिर आसानी से मान जाना। यही इस गीत के भाव थे। अगले गीत के बोल थे ‘मेई बाईड जोंग ना’। इसका मतलब है माँ प्यारी माँ। गाने का भाव यह था कि माँ की तुलना हो ही नहीं सकती है। वह अपने बच्चे को अच्छी तरह पालने के लिए जो कुछ करती है वह कोई और नहीं कर सकता। गाने में कहा जा रहा था कि माँ की आवाज दुईतारे की तरह कोमल और मीठी है। बच्चे का जीवन ही माँ के कारण है। इसके तुरंत बाद शिबोर माउकन ने ‘गोल्डन फ़ॉल’ यानी ‘सुना पानी’ का गीत प्रस्तुत किया। इस गीत में मेघालय के झरनों की तारीफ़ की गई। इसी कड़ी में प्रस्तुत अगले गीत ‘स्म्ला नोंग क्योडोंग’ में मेघालय के मेहनती युवाओं का जिक्र था, जो विषम परिस्थितियों में भी मुस्कुराते हैं। वे सच्चे और ईमानदार हैं इसलिए उनकी महत्ता सोने से भी ज्यादा आंकी जाती है। शिबोर मालकिन और उनके साथियों ने कार्यक्रम के अंत में ‘मेई रामआऊ’ गीत प्रस्तुत किया। इसमें धरती माँ के प्रति आभार व्यक्त करने और उनकी रक्षा के संकल्प का भाव था।
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- Indira Gandhi National Centre for the Art, New Delhi इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र, नई दिल्ली
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