cover image: Sanjari : Folk Music of Daman and Diu by Hiren Sancar संजारी: दमन और दीव  के लोक गीत - हीरेन संकर

Sanjari : Folk Music of Daman and Diu by Hiren Sancar संजारी: दमन और दीव के लोक गीत - हीरेन संकर

28 Oct 2018

Daman and Diu is a small union territory situated along the Arabian Sea. It was ruled by the Portuguese in the past. The culture of Daman is very similar to that of Gujarat. The fishermen (Machhi) community here has its own folk songs, which are sung on auspicious occasions. Their performance at Sanjari consisted of nine artists. The singing group consisted of Ushmita Tandel, Jignasa Halpati, Kinjal Halpati, Manisha Halpati, and Jitesh Mangela. Apart from this, Deepak Mangela accompanied on the Harmonium, Kishore Halpati on the Dholak, Hiren Sankar on the Tasha and the Chhoti Nagadi, and Dhawan Meher on the Manjira and the Ghungroo. The program started with the ‘Machhi Geet’ of the Machhi community. Narli Purnima is an important celebration of this community. It is also called Shravan Purnima. On this occasion, the people of the Machhi community worship the sea god and offer coconuts. Only then do they start fishing. On this day, fishermen decorate their boats. They even perform prayers and rituals for the arrival of the fish. The enthusiasm of the artists performing the Machhi song was worth watching. The farmer community of Daman starts planting saplings immediately after the rains. They pray to Lord Indra that they get a good harvest. After a good harvest, they celebrate by singing and dancing. It is also called Ropani Geet. The next song that the artists presented in this programme was about the new bride. The story of this funny song was quite interesting. In this song it is told that when a new bride arrives in her new home she has no idea where things are generally kept. Due to this, she is unable to do any work, so she ends up causing quarrels amongst the people of the neighborhood. The artists then performed the Khajuri song. Actually, the tribals settled in Daman swiftly climb up the Khajuri trees. These tribals sell toddy extracted from the juice of the fruits. The mildly intoxicating toddy also serves as their means of livelihood. The Khajuri song expressed all these emotions. These artists also presented the change in folk songs to the audience. This change was about including new messages in their presentations along with the traditional ones. This message was - Save the daughter, teach the daughter, which was very well appreciated by the audience. The artists ended the program with a song of the rainy season which conveyed the importance of water. दमन और दीव अरब सागर के किनारे बसा छोटा सा केंद्र शासित प्रदेश है। यहाँ पुर्तगालियों का शासन होता था। दमन की संस्कृति काफ़ी हद तक गुजरात से मिलती जुलती है। यहाँ के माछी समुदाय के अपने लोकगीत हैं, जिन्हें मांगलिक अवसरों पर गाया जाता है। इनकी प्रस्तुति में नौ कलाकार शामिल थे। गायन समूह में उष्मिता टंडेल, जिग्नासा हल्पति, किंजल हल्पति, मनीषा हल्पति और जितेश मांगेला थे। इसके अलावा दीपक मांगेला हारमोनियम, किशोर हल्पति ढोलक, हिरेन संकर ताशा और छोटी नगाड़ी और धवन मेहर मंजीरा और घुंघरू पर संगत कर रहे थे। इस कार्यक्रम की शुरूआत माछी समुदाय के माछी गीत से हुई। नारली पूर्णिमा इस समुदाय का महत्वपूर्ण उत्सव है। इसे श्रावण पूर्णिमा भी कहते हैं। इस मौके पर माछी समुदाय के लोग समुद्र देवता की पूजा कर नारियल भेंट करते हैं। इसके बाद ही वे मछली पकड़ने का काम शुरू करते हैं। इस दिन मछुआरे अपनी नावों को सजाते हैं। मछलियों के आने के लिए मछुआरे बाकायदा पूजा अनुष्ठान करते हैं। माछी गीत में कलाकारों का जोश देखने लायक था। दमन का किसान समुदाय बारिश के तुरंत बाद रोपनी यानि बुवाई का काम शुरू कर देता है। वे इंद्र भगवान से प्रार्थना करते हैं कि उनकी फसल अच्छी हो। अच्छी फसल के बाद वे नाच गाकर खुशियाँ मनाते हैं। इसे रोपनी गीत भी कहा जाता है। इसी कड़ी में कलाकारों ने जो अगला गीत प्रस्तुत किया वह नई दूल्हन के लिए था। इस मजाकिया गीत की कहानी दिलचस्प थी। इसमें यह बताया गया कि एक नई दुल्हन जब अपने ससुराल जाती है तो उसे यह पता नहीं होता कि कौन सा सामान कहाँ रखा है। इस वजह से वह कोई काम तो नहीं कर पाती लेकिन आस-पड़ोस में जाकर एक दूसरे में झगड़ा कराती है। इसके बाद कलाकारों ने खजूरी गीत प्रस्तुत किया। दरअसल, दमन में बसे आदिवासी वहाँ के खजूरी के पेड़ों पर फुर्ती से चढ़ जाते हैं। ये आदिवासी फलों के रस से ताड़ी निकालकर बेचते हैं। हल्के नशे वाली ताड़ी ही उनकी आजीविका का सहारा भी होती है। खजूरी गीत में यही भाव प्रस्तुत किए गए। इन कलाकारों ने लोकगीत में आए बदलाव को भी दर्शकों के सामने प्रस्तुत किया। यह बदलाव था परंपरागत भावों के साथ साथ अपनी प्रस्तुतियों में नए संदेशों को शामिल करना। यह संदेश था-बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा। कलाकारों ने कार्यक्रम का अंत वर्षा ऋतु के उस गीत से किया जिसका भाव था पानी के महत्व को समझना।
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India
Source
Indira Gandhi National Centre for the Art, New Delhi इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र, नई दिल्ली
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Video