सिंहस्थ कुम्भ उत्सव पर आधारित यह प्रकाशन एक जीवंत पर्व को छायाचित्रों के माध्यम से प्रलेखित करता है और सिंहस्थ महाकुम्भ उज्जैन के वैश्विक स्वरुप को भी दर्शाता है। परम्पराओँ विश्वासों और मान्यताओँ के देश भारत में, आस्था का एक अनूठा, अद्भुत, अकल्पनीय उत्सव सिंहस्थ कुम्भ महापर्व वर्ष, 2016, दिनांक 22 अप्रैल से दिनांक 21 मई तक महाकाल की ऐतिहासिक नगरी उज्जैन (मध्य प्रदेश) में करोड़ों देशी, विदेशी श्रद्धालुओं, नागा साधुओं और हजारों संतों की उपिस्थिति में सम्पन्न हुआ। कुंभ मेला वास्तव में कुंभ योग में धार्मिक स्नान से सम्बन्ध रखता है। कुंभ योग में कुम्भ स्नान के समय व्यक्ति न केवल जल से स्नान करता है अपितु उस समय विशेष ऊर्जा से युक्त ब्रह्माण्ड की किरणें भी उसके शरीर और मन को पवित्र करती हैं। सिंहस्थ कुंभ महापर्व प्रत्येक 12 वर्ष के अंतराल में नासिक की गोदावरी, उज्जैन की शिप्रा, हरिद्वार की गंगा एवं प्रयागराज की गंगा, यमुना, सरस्वती नदी के संगम पर मनाया जाता है। सबसे पहला कुंभ संभवतः हरिद्वार में सन् 1232 में आयोजित हुआ था। मराठी पुस्तक गुरु चरित्र के अनुसार नासिक में सन् 1500 से मेले का आयोजन प्रारम्भ हुआ। उज्जैन में सिंहस्थ कुंभ मेला सन् 1732 में प्रारम्भ हुआ। राणोजी सिंधिया के समय उनके प्रधानमंत्री रामचंद्र सुखान्तकर ने यहाँ कुंभ मेले का आयोजन प्रारम्भ किया था। कुंभ का वणर्न ॠग्वेद, सामवेद, अथवर्वेद, महाभारत, रामायण, गरुड़ पुराण, स्कंदपुराण आदि पौराणिक ग्रंथो मे भी पाया जाता है। This publication, based on the Simhastha Kumbh festival, documents a lively festival through photographs and Simhastha Mahakumbh also reflects the cosmic form of Ujjain. A unique, wonderful, unimaginable celebration of faith in India, a country of beliefs and beliefs, Simhastha Kumbh Mahaparva Year, 2016, dated April 22 Till May 21, in the historical city of Mahakal, Ujjain (Madhya Pradesh) was held in the presence of crores of native, foreign devotees, Naga sadhus and thousands of saints. The Kumbh Mela is actually related to religious bathing in Kumbh Yoga. During Kumbh bath in Kumbh Yoga, a person not only bathes with water but at that time the rays of the universe with special energy also purify his body and mind. Simhastha Kumbh Mahaparva is celebrated every 12 years at the confluence of Godavari of Nashik, Shipra of Ujjain, Ganga of Haridwar and Ganga of Prayagraj, Yamuna, Saraswati river.
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