एगो कवि आपन दुविधा पंचमहाली भीली में जाहिर करत बाड़न. कवि सोचत बाड़न जवन शहर पलायन करे के मजबूर कइलक, ओकर हाशिया पर रह के घुटन में जियत रहे के चाहीं कि आपन गांव लउट जाए के चाहीं?
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- India
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- © Vajesinh Pargi,Labani Jangi,Swarn Kanta