cover image: शहर दुरदुरइलस, गांवो ना अपनइलस

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शहर दुरदुरइलस, गांवो ना अपनइलस

13 Sep 2023

एगो कवि आपन दुविधा पंचमहाली भीली में जाहिर करत बाड़न. कवि सोचत बाड़न जवन शहर पलायन करे के मजबूर कइलक, ओकर हाशिया पर रह के घुटन में जियत रहे के चाहीं कि आपन गांव लउट जाए के चाहीं?

Authors

Vajesinh Pargi,Labani Jangi,Swarn Kanta

Published in
India
Rights
© Vajesinh Pargi,Labani Jangi,Swarn Kanta