आज़ादी की लड़ाई के दौरान लोकगीतों ने अर्थ की दृष्टि से एक नया आयाम हासिल किया था, क्योंकि ढोल बजाने वाले संदेशवाहकों व गायकों ने अपने गीतों के ज़रिए ब्रितानवी हुकूमत के ख़िलाफ़ विद्रोह का नारा बुलंद किया था
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