अंतर्राष्ट्रीय मूल निवासी दिवस के मौक़े पर, पश्चिम बंगाल में रहने वाली सबर आदिवासी समुदाय की ज़िंदगी के स्याह पहलुओं को पेश करती रपट. विमुक्त होने के 70 साल बाद भी समुदाय के लोगों का संघर्ष जारी है, और वे हाशिए पर बसर करते हुए भूखमरी से भरा जीवन जीने को अभिशप्त हैं. वे अपनी आजीविका व भोजन के लिए पूरी तरह से रोज़-ब-रोज़ तंग पड़ते जंगलों पर निर्भर हैं
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- India
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- © Ritayan Mukherjee,Priti David,Prabhat Milind