चाँद से मुतअल्लिक़ बहुत सारे मुहवारे भी हमारी ज़बान का हिस्सा हैं, मसलन ईद का चाँद होना, चार चाँद लगना वग़ैरह। इसके बावजूद जब मैं चाँद के हवाले से शायरी की बात करता हूँ तो मेरे ज़हन में सिर्फ़ दो नाम नुमायाँ होते हैं - पहला मीर तक़ी मीर और दूसरा इब्न-ए-इंशा। The post इब्न-ए-इंशा और उनका चाँद नगर appeared first on Best Urdu Blogs, Urdu Articles, Urdu Shayari Blogs.
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