शहरयार ने रात को कई रंगों में रंगने की कामयाब कोशिश की है। उन्होंने रात को अक्सर ज़ुल्म से ताबीर किया है। रात का रंग सियाह होता है, जो नेगेटिविटी ज़ाहिर करता है। सूरज, रोशनी और ख़ुशहाली की अलामत है। शहरयार के यहां रात अक्सर ज़ुल्म की इंतिहा दिखाती है। The post ख़्वाब , सूरज , जुनून , रेत, रात जैसे शब्दों को शहरयार ने अलग अंदाज़ में बरता है appeared first on Best Urdu Blogs, Urdu Articles, Urdu Shayari Blogs.
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