हम अपनी कल्पना के सहारे वो सब देखते हैं जो खुली आँखों से नहीं देख सकते

18 Mar 2021

यक़ीन और गुमान दोनों में एक बात मुश्तरक है कि दोनों हमारे ज़ेहन में एक तस्वीर बनाते हैं, और फ़र्क़ ये है कि यक़ीन एक ही तस्वीर बनाता है मगर गुमान की कोई हद नहीं। गुमान की तस्वीरों में यक़ीन की तस्वीर भी हो सकती है मगर यक़ीन की तस्वीर बनती है तो गुमनाम की सारी तस्वीरें मिट जाती हैं। The post हम अपनी कल्पना के सहारे वो सब देखते हैं जो खुली आँखों से नहीं देख सकते appeared first on Best Urdu Blogs, Urdu Articles, Urdu Shayari Blogs.
imagination urdu poetry uncategorized urdu shayari mirza ghalib jigar moradabadi jaun elia zia jalandhari

Authors

Ajmal Siddiqi

Published in
India
Rights
© Ajmal Siddiqi