अफ़सोस हमें एहसास नहीं कि हमारे हाँ रंगों के क़दीम और ख़ूबसूरत नाम बड़ी तेज़ी से मतरूक हो रहे हैं। कल उन्हें कौन पहचानेगा। हमने अपने लफ़्ज़ खज़ाने पर लात मारी सो मारी, अपनी धरती से फूटने वाली धनक पर भी ख़ाक डाल दी। The post रंगों के उर्दू नाम जो हम भूलते जा रहे हैं appeared first on Best Urdu Blogs, Urdu Articles, Urdu Shayari Blogs.
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