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ज़बान और इश्क़ किसी तरह की पाबन्दियाँ पसन्द नहीं करते

10 Jun 2021

ज़बान और इश्क़ किसी तरह की पाबन्दियाँ पसन्द नहीं करते, कितनी अजीब बात है कि लफ़्ज़ 'मजनूँ' पागल के अर्थ में है, क़ैस इश्क़ में पागल हुआ तो उसे मजनून या मजनूँ बोलने लगे, लेकिन जज़बा-ए-इश्क़ इस क़दर ग़ालिब और ज़ाहिर था कि क़ैस की वज्ह से इस लफ़्ज़ में रफ़ता रफ़ता इश्क़ का मफ़हूम समाता चला गया और डिक्शनरी बग़लें झाँकते रह गई। The post ज़बान और इश्क़ किसी तरह की पाबन्दियाँ पसन्द नहीं करते appeared first on Best Urdu Blogs, Urdu Articles, Urdu Shayari Blogs.
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Authors

Ajmal Siddiqi

Published in
India
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