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जब उर्दू ने मेरा माथा चूमा और मेरी आँख खुल गई

12 Jun 2021

जब से मैंने उर्दू की उँगली पकड़ी है मैं एक दिन को भी सुस्ता नहीं सका हूँ। तेज़-गाम उर्दू की उँगली पकड़ के सफ़र करते रहना ख़ुशी के एहसास में इज़ाफ़ा करता है, लेकिन मेरी थकान का क्या? उर्दू मेरी थकान को अच्छी तरह समझती है। मैं उसे देखता हूँ और वो मेरे थके-माँदे बदन को अज़-जबीं ता- ब- पा देखती है। देख कर बड़ी चालाकी से मेरी हालत-ए-हाल को दर-गुज़र करके वापस चलने लगती है। The post जब उर्दू ने मेरा माथा चूमा और मेरी आँख खुल गई appeared first on Best Urdu Blogs, Urdu Articles, Urdu Shayari Blogs.
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Dheerendra Singh Faiyaz

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