मैं एक औरत-दुश्मन शायर रहा हूँ

16 Jun 2021

हम मिर्ज़ा ग़ालिब की नसीहत पर अमल करते हुए भी अदब के मैदान में ख़ुद को बड़ा शायर बनाना चाहते थे कि 'मिस्री की मक्खी बनो, शहद की मक्खी नहीं बनो'। मगर हमने ग़ौर नहीं किया कि ये जुमला किस तरह औरत दुश्मनी की रिवायत का बीज हमारे ज़हन में बो रहा है। हमें लगा कि अदब में बेहतरीन क़िस्म का शायर वही होता है, जो बदन की शायरी करता हो। The post मैं एक औरत-दुश्मन शायर रहा हूँ appeared first on Best Urdu Blogs, Urdu Articles, Urdu Shayari Blogs.
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Authors

Tasneef Haider

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India
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