राहत इंदौरी: ये सानेहा तो किसी दिन गुज़रने वाला था

11 Aug 2021

राहत की चुभती हुई शायरी, शेर सुनाने के ड्रामाई अंदाज़ और मौके़-मौके़ पर उनकी तरफ़ से फेंके जाने वाले लतीफ़ों और जुमलेबाज़ी ने उन्हें एक दूसरे ही जहान का शायर बना दिया था। वो माईक पर आते ही मुशायरे की ख़ामोशी को दाद-ओ-तहसीन की गर्मी से ऐसा पिघलाते थे कि देर तक मुशायरा अपने मामूल पर नहीं रह पाता था। The post राहत इंदौरी: ये सानेहा तो किसी दिन गुज़रने वाला था appeared first on Best Urdu Blogs, Urdu Articles, Urdu Shayari Blogs.
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Hussain Ayaz

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