ग़ज़ल में मिसरे का टकरा जाना

6 Sep 2021

आपने सबने ये जुमला ख़ूब सुना होगा कि फ़लाँ ग़ज़ल फ़लाँ ग़ज़ल की ज़मीन पर है। ग़ज़ल की ज़मीन से मुराद ग़ज़ल का ढाँचा है या'नी ग़ज़ल की बह'र, क़ाफ़िया और रदीफ़। मतलब ग़ज़ल की ज़मीन क्या है, ये उसके मतले से तय हो जाता है। The post ग़ज़ल में मिसरे का टकरा जाना appeared first on Best Urdu Blogs, Urdu Articles, Urdu Shayari Blogs.
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Authors

Dheerendra Singh Faiyaz

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India
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