मीर के बारे में अक्सर ये कहा जाता है कि उन्होंने सह्ल ज़बान या सरल भाषा में शाइरी की है। ऐसी ज़बान जिसे समझने में किसी को कोई परेशानी न हो और ये बात अक्सर ग़ालिब से उनका मवाज़ना/तुलना करते हुए कही जाती है। लेकिन क्या वाक़ई मीर की शाइरी आसान/आसानी से समझ में आ जाने वाली शाइरी है? The post मीर तक़ी मीर: चलो टुक मीर को सुनने कि मोती से पिरोता है appeared first on Best Urdu Blogs, Urdu Articles, Urdu Shayari Blogs.
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