दिल्ली का उर्दू बाज़ार : किताबों से कबाबों तक का सफ़र

30 Sep 2021

मीर तक़ी मीर ने दिल्ली के गली-कूचों को ‘औराक़-ए-मुसव्वर’ यानी ‘सचित्र पन्नों’ की उपमा दी थी। ये वो ज़माना था जब दिल्ली में साहित्यिक, तहज़ीबी और सांस्कृतिक सर-गर्मियाँ चरम पर थीं और यहाँ हर तरफ़ शे’र-ओ-शायरी का दौर-दौरा था। दिल्ली के कूचा-ओ-बाज़ार अपनी रौनक़ों और अपने सौन्दर्य के ए’तबार से अपना कोई सानी नहीं रखते थे। दिल्ली की समाजी और साहित्यिक ज़िंदगी अपने विशेष मूल्यों की वजह से एक विशिष्ट और अद्वितीय मुक़ाम रखती थी। The post दिल्ली का उर्दू बाज़ार : किताबों से कबाबों तक का सफ़र appeared first on Bes
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Masoom Moradabadi

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