दिलीप कुमार इकलौते अभिनेता थे कि जब कैमरे की तरफ़ पीठ होती थी तब भी वे अभिनय करते नजर आते थे। फ़िल्म 'अमर' में एक दृश्य में मधुबाला उनसे मुख़ातिब हैं और कहती हैं, "सूरत से तो आप भले आदमी मालूम होते हैं…" फ़्रेम में सिर्फ़ उनकी धुंधली सी बांह नज़र आती है मगर संवाद अदायगी के साथ वे जिस तरीक़े से अपनी बांह को झटके से पीछे करते हैं वह उनके संवाद "सीरत में भी कुछ ऐसा बुरा नहीं…" को और ज़ियादा असरदार बना देता है। The post दिलीप कुमार: एक ज़िन्दगी के भीतर कितनी ज़िन्दगियां… appeared first on Best Urdu Blogs, Ur
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