जम्हूरियत को अगर सिर्फ़ वोट करने के हक़ से ता'बीर किया जाए तो उसका मतलब ये होगा कि मुल्क में अक्सरिय्यती ख़याल, वो सोच जिस के मानने वाले अक्सरिय्यत में हों उस सोच को ही ग़लबा मिलेगा। लेकिन इस का दूसरा पहलू क्या ये है कि बाक़ी तमाम ख़याल, बाक़ी तमाम लोग और तमाम फ़िक्र के लोगों के लिए कोई जगह नहीं? The post टैगोर, जम्हूरियत और आख़िरी नागरिक appeared first on Best Urdu Blogs, Urdu Articles, Urdu Shayari Blogs.
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