एक तो ग़ालिब के जिस्म में दौड़ता ईरानी लहू और दिमाग में ईरानी उस्ताद की नसीहतें और तजर्बे, इन दोनों के मेल ने ग़ालिब को फ़ारसी का ज़बरदस्त और ज़हीन शायर बना दिया। सिर्फ़ शायर ही नहीं बल्कि उनके खाने पीने, उठने बैठनें, बात करने, कपड़े पहनने और सोचने समझने का अंदाज तक ख़ालिस ईरानी हो गया। The post जब कोलकता में ग़ालिब के एक फ़ारसी शेर पर विवाद खड़ा हो गया appeared first on Best Urdu Blogs, Urdu Articles, Urdu Shayari Blogs.
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