भूपिंदर सिंह : ज़िन्दगी मेरे घर आना

19 Jul 2022

ढलती सुनसान दोपहरी में कोई बेकल-सी पुकार या शाम के गहराते अँधियारे में अभी-अभी जलाया गया गौरवान्वित दिया... कुछ ऐसी थी भूपिंदर सिंह की आवाज़। कैसी उजली और आत्मगौरव से दीप्त होती, घन के गरज सा भारीपन लिए और निचाट अकेलापन लिए आवाज़। अकेलापन भी कोई रोने-कलपने वाला नहीं बल्कि ठहर कर ख़ुद को देखने-परखने वाला। सत्तर के दशक के शहरों में जा कर संघर्ष करने वाले नौजवानों को उन्होंने अपनी आवाज़ दी थी। The post भूपिंदर सिंह : ज़िन्दगी मेरे घर आना appeared first on Best Urdu Blogs, Urdu Articles, Urdu Shayar
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Authors

Dinesh Shrinet

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India
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