अब मुहल्ले का नाम बिल्लीमारों क्यों था? हालाँकि इस बात का कोई सुबूत नहीं मिलता लेकिन इस हवाले से एक बात ये कही जाती है कि एक ज़माने में यहाँ साहँसी या साँसी लोग रहते थे जो कुत्ते-बिल्लियों का गोश्त खाया करते थे। इसलिए इस मुहल्ले को ‘बिल्लीमारों’ का मुहल्ला कहा जाता है। The post मुहल्ला बिल्लीमारान या बल्लीमारान? एक दिलचस्प बहस appeared first on Best Urdu Blogs, Urdu Articles, Urdu Shayari Blogs.
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