मजाज़ या’नी वो असरार जिन्हें दुनिया आज उस की मौत के 67 साल बा’द भी समझने की कोशिश में मुब्तला है। जिस के इ’श्क़, जुनून, मुहब्बत, हाज़िर-जवाबी, मयनोशी, और मौत के इर्द-गिर्द इतने क़िस्से सुने-सुनाए गए हैं कि उन में कौन सा सच और कौन सा अफ़्वाह है, फ़र्क़ करना मुश्किल है। The post एक सच, एक अफ़साना : असरारुल-हक़ ‘मजाज़’ appeared first on Best Urdu Blogs, Urdu Articles, Urdu Shayari Blogs.
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