(A folktale from Rajasthan illustrated by Shefalee Jain)
चित्र और डिज़ाइन : शेफाली जैन
कहानी : विजयदान देथा
अनुवाद : कैलाश कबीर
राजस्थान कि इस लोक-कथा में जब गाँव के सेठ-सेठानी दहेज़ के लालच में अपनी बेटियों से छलावा करते हैं तो बेटियां घर छोड़ने की ठान लेती हैं। वे ख़ुद को नए नाम देती हैं, बीजां और तीजां, और भाग निकलती हैं। पर क्या गाँव वाले उन्हें इतनी आसानी से जाने देंगे? और क्या बीजां और तीजां मिलकर एक नयी ज़िंदगी बसा पाएंगी ...?
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