भारिया समुदाय के किसान कमलेश डांडोलिया एक मुकम्मल लेखक हैं और भाषा के संग्रहण व संरक्षण में लगे हुए हैं. उनका कहना है कि उनकी मातृभाषा भरियाटी, हिंदी के मुक़ाबले पिछड़ तो रही ही है, बल्कि भाषा से जुड़ी अधिकांश चीज़ें पहले ही खो चुकी हैं
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- India
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- © Ritu Sharma,Priti David,Devesh,Prabhat Milind