ब्रह्मपुत्र में जलवायु परिवर्तन के जाल में फंसे शिल्पकार

17 Oct 2024

सेप्पा, बाएर, दारकी, दुएर, दियार वैगरह कुछ उन बांस के स्वदेशी जालों (ट्रैप) के नाम हैं जिन्हें जलाल अली अपनी आजीविका के लिए बनाते हैं. लेकिन मानसून की दग़ाबाज़ी ने असम के अधिकांश जलाशयों को सुखा डाला है, और मछली पकड़ने वाले जालों की मांग में तेज़ गिरावट आई है. इसका सीधा असर इनकी बिक्री से होने वाली आमदनी पर पड़ा है

Authors

Mahibul Hoque,Priti David,Prabhat Milind

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India
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© Mahibul Hoque,Priti David,Prabhat Milind